Thursday, May 7, 2009

ग़ज़ल

मैंने क्या किया है अब तक, नहीं बताना चाहता हूँ
बस, तुम्हें मैं हर तरह से सुधारना चाहता हूँ।

स्वयं को मैं बदल सकता नहीं
बस, तुम्हें मैं हर तरह से बदलना चाहता हूँ.

जो मैं अब तक नहीं बन सका
मेरे बच्चे, मैं तुझमें बनकर गुज़रना चाहता हूँ।

"प्रताप" ये क्या बोलते हो, मैं बच्चा हूँ
अपने तरीके से दुनिया में उतरना चाहता हूँ.

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