तुम्हारे सामने हजारों सवाल रखेगी
जिंदगी हर दिन एक नया बवाल रखेगी।
ठीक से रखो अपना हिसाब
कब तक माँ तुम्हारा ख्याल रखेगी।
उम्र के इक मोड़ पर वो भी आएगा
तेरे सामने वक्त हजारों ज़माल रखेगी।
आज को जितना तू संवारेगा
कल बुढापे को तेरे संभाल रखेगी।
प्रकृति के विपरीत जितना तू चलेगा
तेरे सामने प्रकृति उतना अकाल रखेगी।
तू चाहे जितनी शैतानियाँ कर सबसे "प्रताप"
कोई रखे न रखे माँ तुझे ममता तले बहरहाल रखेगी.
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