Sunday, November 15, 2009

ग़ज़ल

गरीबों के विकास कि जो बात करते हैं
हर चीज का वो    व्यापार करते है.

मिलती है रोटी, कपड़ा और मकान
जो   उनका       दरबार    करते हैं.

दौलत जुटाने में खाली वक्त कहाँ
कहने को मोबाइल पे प्यार की बात करते हैं.

विनम्रता हमसे तलाक नहीं लेती
वो हमेशा तंज व्यहार करते हैं.

उन्हीं के नाम की जय- जयकार होती है
जो वैमनस्यता का कारोबार करते है.

किस दिन उसे एहसास होगा "प्रताप"
कि हम पड़ोसियों को कितना प्यार करते हैं.





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शुभेच्छु

प्रबल प्रताप सिंह

कानपुर - 208005
उत्तर प्रदेश, भारत

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5 comments:

  1. उन्हीं के नाम की जय- जयकार होती है
    जो वैमनस्यता का कारोबार करते है.
    bahut khoob badhaaI aap word verification hata len is se comment dene me asuvidha hoti hai aur kai bina comment diye chale jate hain dhanyavaad

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  2. nice ... i loved it.. keep writing...

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  3. nirmalaji or dharamji comment ke lie dhanyvaad....!!
    nirmalaji maine word verification nahin lagaya hai, yah karastaani google vaalon ki hogi.

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