जलाओ दीप जलाओ...!
एकता का दीप जलाओ
समता का दीप जलाओ
ममता का दीप जलाओ.
प्रेम की बाती
सौहार्द का तेल
मानवता का दीया बनाओ.
जलाओ........
मन से ईर्ष्या
जन से द्वेष
तन से घृणा
आपस से क्लेश मिटाओ.
ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लिजे इक आग का दरिया है और डूब के जाना है...!!