Monday, March 15, 2010

ग़ज़ल

 बता ऐ मौला मेरे...!

चश्म से रश्के-ऐनक हटा मेरे
मैं कौन हूं,  बता ऐ मौला मेरे.
यूं ही बिता दूं रश्क में सारी उमर
मैं क्या करून बता, ऐ मौला मेरे.
सभी अपने से दिखते हैं जहां में
मैं किसको शिकस्त दूं , बता ऐ मौला मेरे.
सबकी मजिल एक, क्यों रश्ते सबके अलग
मैं किस रश्ते पर चलूँ , बता ऐ मौला मेरे.
तुझ तक पहुंचना है क्यों मुश्किल
मैं तुझ तक कैसे पहुंचू , बता ऐ मौला मेरे.
तुझको परखना भी आसां नहीं 
मैं तुझे कैसे पहिचानूं , बता ऐ मौला मेरे.

प्रबल प्रताप सिंह