इंसानियत छोड़िए, सब जल जाता है
आदमी भीड़ में भेड़िया बन जाता है.
मनिया अपनी मुन्नी को चाहे जितना छुपाये
यौवन ' यू ट्यूब ' पर बिक जाता है.
छुपाओ लाख शयनकक्ष की शब
' इन्टरनेट ' पर सब दिख जाता है.
विज्ञान कभी वरदान नहीं बन पाया
अभिशाप बन हर बार आ जाता है.
आदमी तो आदमी ठहरा
सूरा पीने के बाद क्यों सूअर बन जाता है.
प्रबल प्रताप सिंह
छुपाओ लाख शयनकक्ष की शब
ReplyDelete' इन्टरनेट ' पर सब दिख जाता है
khoobsurat gajal........