हम बचपन में...
मेरी ग़ज़ल अमर उजाला कोम्पेक्ट में ( जो कविता के नाम से छप गई है )
बड़े आकार में देखने के लिए मैटर पर किल्क करें.
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प्रबल प्रताप सिंह
ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लिजे इक आग का दरिया है और डूब के जाना है...!!
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