Thursday, May 14, 2009

ग़ज़ल

कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें
गमे-वक्त कुछ तुम सहो, कुछ हम सहें.

ये सफ़र हो कितना भी तवील
कुछ तुम चलो, कुछ हम चलें।

हादसों के सफ़र में, दर्द अपनों के
कुछ तुम सुनो, कुछ हम सुनें।

इल्ज़ाम न दो किसी और को, रश्क में
कभी तुम गिरे, कभी हम गिरे।

तसव्वुरों के खेत में काटते ख्वाबे-फ़सल
कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

रंगीन शबों से ऊबकर, तन्हा रातों से
कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

मोहब्बत की चाह लिए, खुलूसे-अंजुमन में
"प्रताप" कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

हसरतों के सहरा में उम्मीदे-गुल बनकर
कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

12 comments:

  1. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है , दिल से उठी हुई
    इरशाद, इरशाद
    यूँ ही लिखते रहिये , हमें भी ऊर्जा मिलेगी
    धन्यवाद,
    मयूर
    अपनी अपनी डगर
    sarparast.blogspot.com

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  2. इल्ज़ाम न दो किसी और को, रश्क में
    कभी तुम गिरे, कभी हम गिरे।हसरतों के सहरा में उम्मीदे-गुल बनकर
    कभी तुम मिले, कभी हम मिले।
    bahut khoob .

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  3. हसरतों के सहरा में उम्मीदे-गुल बनकर
    कभी तुम मिले, कभी हम मिले।
    इल्ज़ाम न दो किसी और को, रश्क में
    कभी तुम गिरे, कभी हम गिरे।
    bahut khoob aage kya kahoon ?

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  4. हादसों के सफ़र में, दर्द अपनों के
    कुछ तुम सुनो, कुछ हम सुनें।

    bahut umda ghazal
    padhkar achha laga

    shubhkamnayen

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  5. shukriya..aapki gazhal bhi acchi hai

    -lata haya

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  6. बहुत ख़ूब!

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  7. bahut sundar hai
    lagta hai jaise haath thaam kar upne safar mein aap ne sub ko shamil kar liya ho

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  8. Anonymous25/7/09 02:08

    तसव्वुरों के खेत में काटते ख्वाबे-फ़सल
    कभी तुम मिले, कभी हम मिले....
    यूँही तफरी करते हुए आपके ब्लॉग में आ गया... पढ़कर मजा आ गया.. संवेदना और शब्दों दोनों का बेहतर सामंजस्य बैठाया है आपने..
    बधाई...!!!
    www.nayikalam.blogspot.com

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  9. bahut khoob bhaijaan!Ham to aap ke kayal hi ho gaye.....par bura na mane to ik baat kahana chahene.............'khawabe-fasal' word ki jagah "fasl-e-khawab' hona chahiye.Wase gazal bahut umda hai.

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  10. puri nazm hi bahut khubsoorat hai...mane ki agar bhojpuri me kahal jaw t ekdum umda, tannak ,bindash rachana h...
    dhanyawad mere blog se judne ke liye....

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  11. bahut khubsurat hain aapki nazm

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  12. बहुत सुन्दर गजल है ।

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